खवाब......
खवाब तो जिन्दगी में हर कोई देखता है
लेकिन उनमे से कुछ ही खवाब ही पुरे होते है
इंसान को वही खवाब देखने चाहिये जिन खवाबो को पूरा कर सके
खवाब एक ऐसा एहसास है जिसको देखते देखते आदमी अपनी मंजिल तक पहुचने का प्रयास करते है,
कुछ खुश नसीब लोग इन खवाबो को देखने के बाद सफल हो जाते है
लेकिन कुछ बद नसीबो के खवाब खावाब बन कर रहे जाते है
हम भी इस जिंदिग के सफ़र में अनेक खवाव् देखते है
लेकिन इस बात का हर समय डर रहता है के मेरे खवाब भी खवाब बन कर ही ना रह जाए
होते अगर हम खुदा तो जनत तुम्हे दे देते
होते अगर हम मधुसाम तो फूलो से तुम्हे धक देते
होते अगर हम कवी तो एक कविता तुम पर लिख दे ते
होते अगर हम राज तो ताज तुम्हारे सर पर पहनाते
होते अगर हम गगन तो तुम्हे अपने साए में रखते
होते अगर हम धरा तो आचल में अपने छुपा लेते
होते अगर हम सुमन तो मुस्कराना तुम्हे सिखाते
पर में तो इनमे से कुछ भी नही है
क्या तुमको दे पायेंगे
बस कुछ याद अपनी दे जायेंगे
कुछ याद तुम्हारी ले जायेंगे
व्रिटर - हरीश जोशी जी
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