रविवार, 13 नवंबर 2011

pyaar kya hai

प्यार क्या है

आदमी का औरत से मिलन
तन का तन से मिलन
यही नही है प्यार
कुछ और भी है प्यार
प्यार ही है जीवन का आधार
प्यार बिना ना मिले आतम सार
प्यार ही है सरसती का सार
इसके अलावा भी है प्यार
गई की बच्दी पर लगी लार
दो आत्माओं का मिलन है प्यार
जगत की साड़ी क्रियाओं का पार
प्यार का बिंदु है अप्रम पार
प्यार ही आदमी का है सार
प्यार से नही पा सकता है कोई पार
अगर किया हो तुमने भी कभी प्यार
तो लिख दो मेरे भाई अपने भी विचार
सारे कर्मो का अनोखा अनुभव है प्यार
कभी मत करना यारो किसी से मिथ्या प्यार
विधार्थी को होता है किताबो से प्यार
प्र्रेमी का प्रेमिका से प्यार
भवरा करता है कमल से प्यार
बस तना सा ही नही है प्यार
इसके अलावा भी होता है प्यार
प्यार होता है दो प्राणियो का आधार
इंसान की वैज्ञानिक खोज नही है प्यार
इश्वर की अनमोल दें है प्यार
कामदेव के पास भरा है प्यार का अथा भण्डार
हर किसी के दिल में बसा है प्यार
कभी सोचा है तुमने क्या है पया
क्यों था क्रिशन को गोपियों से प्यार
गोपिय क्यों करती थी क्रिशन पर जान निशार
हर किसी के मस्तिक की पहली उपज है प्यार
हाथो की हलचल व्  पैर्रो   की थिरकन नही है प्यार
एक दुश्रे के विचाओर को समझना है प्यार
क्या  यह है प्यार.....
हरदया गाथा ::::::::           हरीश जोशी जी



 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें